ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम क्या होता है? (What is On Grid Solar System)
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम वह प्रणाली है जिसे आप सीधे ग्रिड से जोड़ सकते हैं और अपने मासिक बिजली बिल को कम कर सकते हैं। इसमें आप बिजली की कमी या अधिक इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन को नेट मीटरिंग के जरिए नियंत्रित कर सकते हैं और इसमें बैटरी की आवश्यकता नहीं होती है। इस सोलर सिस्टम में आपको सोलर पैनल, सोलर इन्वर्टर, पैनल स्टैंड जैसे सोलर उत्पादों की आवश्यकता होती है। यदि आप अपने यहाँ ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपने डिस्कॉम से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। आजकल देश में 95 से अधिक डिस्कॉम हैं। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा लोगों की मदद के लिए एक सिंगल विंडो रूफटॉप सोलर पोर्टल की शुरुआत की गई है, जहाँ आप 7 से 10 दिनों में अपनी फीजिबिलिटी रिपोर्ट बहुत ही आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इस दौरान आपको बिजली के बिल, ईमेल आईडी, और मोबाइल नंबर की आवश्यकता होगी।
ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम के फायदे क्या हैं? (What are the benefits of On Grid Solar System)
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगाने के कई लाभ होते हैं। इसे लगाने से आप अपने मासिक बिजली बिल को कम से कम 80 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। मान लीजिए, अगर आपका महीने का बिजली बिल 1000 रुपये है, तो ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगाने से आप हर महीने कम से कम 800 रुपये की बचत कर सकते हैं। साथ ही, इस सिस्टम को लगाने के खर्च ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम के मुकाबले कम होते हैं क्योंकि इसमें पावर बैकअप के लिए बैटरी की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार, यह सिस्टम आपके बिजली बिल को सीधे कम करता है।
ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम काम कैसे करता है? (How Does an On Grid Solar System Work)
सोलर मॉड्यूल सूरज की किरणों को अवशोषित करता है और उन्हें पहले डायरेक्ट करंट (DC) में बदलता है। फिर, सोलर इन्वर्टर उस DC को अल्टरनेटिंग करंट (AC) में परिवर्तित करता है, ताकि यह घर के उपकरणों को चला सके। किसी भी ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम में यह बिजली ग्रिड को ट्रांसफर होती है। फिर, लगा नेट मीटर यह गणना करता है कि सोलर पैनल से आपके यहां कितनी बिजली आई है और आपने कितनी बिजली का उपयोग किया है। इसके आधार पर आपके महीने का बिजली बिल तय होता है।
ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम को लगाने में कितना खर्च आता है? (How much does the On grid solar system cost)
ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम लगाने में खर्च का अनुमान लगाने के लिए कई कारक ध्यान में रखने जरूरी हैं। प्राथमिक कारक है सोलर पैनल की क्षमता या साइज़, जिसे किलोवाट (kW) में मापा जाता है। अधिक क्षमता वाले पैनल अधिक बिजली उत्पन्न करेंगे और इसका खर्च भी अधिक होगा। दूसरा कारक है सोलर इन्वर्टर की क्षमता, जो सोलर पैनल द्वारा उत्पन्न डीसी बिजली को एसी बिजली में परिवर्तित करता है। तीसरा महत्वपूर्ण कारक है उपयोग की अनुमानित मात्रा। यदि आपका उपयोग अधिक है, तो अधिक क्षमता की सिस्टम की आवश्यकता होगी, जिससे अधिक बिजली उत्पन्न होगी, लेकिन इसका खर्च भी अधिक होगा। अंत में, ब्रांड और गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण हैं। उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का खर्च अधिक होता है, लेकिन वे अधिक दिनों तक सुचारू रूप से काम करेंगे और अधिक बिजली उत्पन्न करेंगे। इस प्रकार, ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम को लगाने में खर्च का अनुमान लगाने के लिए ये सभी कारक ध्यान में रखने जरूरी हैं, जो लगभग 60,000 रुपये से लेकर 80,000 रुपये तक का हो सकता है।
सोलर पैनल पर रिटर्न कितने साल में मिल जाता है?
सोलर पैनल पर रिटर्न अलग-अलग सेक्टर पर निर्भर करता है। जैसे कि यदि कोई रेसीडेंशियल सेक्टर में सोलर पैनल लगाता है, तो Off Grid से On Grid सिस्टम में रिटर्न मिलने में लगभग 4 से 7 साल लगते हैं। वहीं, यदि कोई कमर्शियल और इंडस्ट्रियल सेक्टर में सोलर पैनल लगाता है, तो उसे रिटर्न प्राप्त करने में 2.5 से 4 साल का समय लगता है।
सोलर सिस्टम इंस्टालेशन में यह सुनिश्चित किया जाता है कि निवेश किए गए पैसे का रिटर्न 4 से 7 साल के भीतर आसानी से मिल जाए। यह रिटर्न अवधि मुख्यतः सोलर पैनल की गुणवत्ता, इंस्टालेशन की लागत, बिजली की खपत और सरकारी सब्सिडी पर निर्भर करती है।
इसके अतिरिक्त, एक बार रिटर्न प्राप्त हो जाने के बाद, आपको कम से कम 25 वर्षों तक सोलर पैनल से मुफ्त बिजली मिलती रहती है। सोलर पैनल की दीर्घकालिकता और उनके कम रखरखाव की आवश्यकता उन्हें एक लाभदायक निवेश बनाती है। इसके अलावा, सोलर पैनल पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होते हैं, क्योंकि वे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत प्रदान करते हैं।
सोलर पैनल का उपयोग करके, आप न केवल बिजली के बिलों में बचत कर सकते हैं, बल्कि ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं, जिससे दीर्घकाल में आपका खर्च कम होता है। इस प्रकार, सोलर पैनल एक समझदार और पर्यावरण-संवेदनशील निवेश साबित होते हैं।
प्रति वाट सोलर पैनल की कीमत कितनी होती है?
सोलर पैनल की कीमत उसके आकार और क्षमता पर निर्भर करती है। जितना छोटा सोलर पैनल होगा, उसकी प्रति वाट कीमत उतनी ही ज्यादा होती है। इसके विपरीत, जितना बड़ा सोलर पैनल होगा, उसकी प्रति वाट कीमत कम होती है।
भारत में आमतौर पर प्रति वाट सोलर पैनल की कीमत लगभग 20 से 30 रुपये के आस-पास होती है। हालांकि, यह कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि सोलर टेक्नोलॉजी, ब्रांड, गुणवत्ता, और पैनल की रेटिंग्स। उच्च गुणवत्ता और प्रसिद्ध ब्रांड के पैनल सामान्यत: थोड़े महंगे होते हैं, लेकिन उनकी दीर्घकालिक प्रदर्शन और विश्वसनीयता भी अधिक होती है।
इसके अलावा, सोलर पैनल की कीमतें बाजार की मांग और सरकारी नीतियों पर भी निर्भर कर सकती हैं। कभी-कभी सरकारें सोलर पैनल्स पर सब्सिडी देती हैं, जिससे उनकी कीमतें और भी कम हो जाती हैं।
इस प्रकार, सोलर पैनल की खरीदारी करते समय इन सभी कारकों पर विचार करना आवश्यक होता है, ताकि आप अपनी जरूरत और बजट के अनुसार सबसे उपयुक्त विकल्प चुन सकें।
5 किलोवाट सोलर पैनल की कीमत कितनी होती है?
आज के समय में 5 किलोवाट सोलर सिस्टम की लागत अलग-अलग प्रकार की सोलर प्रणालियों के लिए भिन्न हो सकती है। आमतौर पर:
- Ongrid सोलर सिस्टम: लगभग 3 लाख रुपये।
- Off Grid सोलर सिस्टम: लगभग 5 लाख रुपये।
- Hybrid सोलर सिस्टम: लगभग5 लाख रुपये।
ये कीमतें विभिन्न कारकों पर निर्भर करती हैं जैसे कि सिस्टम की गुणवत्ता, ब्रांड, और इंस्टालेशन की लागत। इसके अलावा, इन प्रणालियों पर आपको EMI और लोन की सुविधा भी आसानी से मिल सकती है, जिससे सोलर पैनल इंस्टालेशन का वित्तीय बोझ कम हो जाता है।
इन सोलर सिस्टम्स में निवेश करने से आपको दीर्घकालिक लाभ मिलता है, जैसे कि बिजली के बिलों में बचत और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत का उपयोग। साथ ही, सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी और प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ उठाकर आप अपनी कुल लागत को और भी कम कर सकते हैं।
3 किलोवाट सोलर पैनल की कितनी कीमत होती है?
आज के समय में 3 किलोवाट सोलर सिस्टम की लागत निम्नानुसार होती है:
- Ongrid सोलर सिस्टम: लगभग8 लाख रुपये।
- Off Grid सोलर सिस्टम: लगभग 3 लाख रुपये।
- Hybrid सोलर सिस्टम: लगभग5 लाख रुपये।
इन कीमतों में विभिन्न कारकों जैसे सिस्टम की गुणवत्ता, ब्रांड, और इंस्टालेशन की लागत शामिल होती है। साथ ही, आपको इन सोलर सिस्टम्स पर EMI और लोन की सुविधा भी आसानी से मिल जाती है, जिससे सोलर पैनल इंस्टालेशन का खर्च उठाना आसान हो जाता है।
3 किलोवाट का सोलर सिस्टम भारतीय बाजार में सबसे लोकप्रिय और उपयुक्त विकल्प माना जाता है, क्योंकि यह अधिकांश घरों के बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकता है। इसके अलावा, सरकार की ओर से सब्सिडी भी उपलब्ध होती है, जो कुल लागत को और भी कम कर देती है।
भारत में अधिकतर घरों का Sanctioned Load 1 से 3 किलोवाट होता है, इसलिए 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाकर आप अपने घर को बिजली के मामले में लगभग आत्मनिर्भर बना सकते हैं। यह न केवल आपके बिजली के बिलों में बचत करेगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होगा।
मेरा sanctioned load 2 किलोवाट है, क्या मैं 3 किलोवाट या 5 किलोवाट का ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम इंस्टाल कर सकता हूं?
जब से पीएम सूर्यघर योजना (PM Suryaghar Scheme) लॉन्च हुई है, तब से यह सवाल लोगों के मन में सबसे ज्यादा उठ रहा है। यह एक ऐसी योजना है, जिसके अंतर्गत 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर लगाने की योजना है। वर्तमान में, भारत में लगभग 25 करोड़ घर हैं और उनमें से लगभग 75 प्रतिशत घरों में बिजली कनेक्शन का sanctioned load 1 से 2 किलोवाट है।
यदि आपका sanctioned load 2 किलोवाट है और आप 3 किलोवाट या 5 किलोवाट का ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम अपने घर में लगाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपना sanctioned load भी बढ़ाना होगा। sanctioned load बढ़ाने के लिए आपको अपने संबंधित डिस्कॉम (DISCOM) में आवेदन करना होगा। DISCOM आपकी आवेदन की जांच करेगा और प्रक्रिया पूरी करने के बाद आपका sanctioned load बढ़ा देगा।
ध्यान दें कि sanctioned load बढ़ाने से आपका महीने का बिजली खर्च भी बढ़ सकता है, क्योंकि आपकी अधिकतम बिजली खपत की सीमा बढ़ जाती है। हालांकि, एक बार सोलर सिस्टम इंस्टाल होने के बाद, आप ग्रिड से कम बिजली खींचेंगे, जिससे आपके कुल बिजली बिल में बचत हो सकती है।
इस प्रकार, अगर आप अपने घर में अधिक क्षमता का सोलर सिस्टम इंस्टाल करना चाहते हैं, तो पहले अपने DISCOM से संपर्क करके sanctioned load बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू करें। इससे आपको अधिक क्षमता के सोलर पैनल का लाभ मिलेगा और आप बिजली के मामले में अधिक आत्मनिर्भर हो सकेंगे।
Pakka Ghar 32/25